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Narco-Terrorism Networks : नशा तस्कर 9 किलो हेरोइन के साथ गिरफ्तार

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अमृतसर में दो महिलाओं समेत छह नशा तस्कर 9 किलो हेरोइन के साथ गिरफ्तारविदेशी गैंगस्टर हरप्रीत उर्फ़ हैपी जट्ट सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्मों की इस्तेमाल कर चला रहा था मॉड्यूल : डीजीपी गौरव यादवदोनों मॉड्यूलों में एक ही पाकिस्तान-आधारित तस्कर का साझा संबंध था, जो हेरोइन की खेपें गिराने के लिए ड्रोन का करते थे इस्तेमाल : सीपी अमृतसर गुरप्रीत भुल्लरचंडीगढ़/अमृतसर, 18 सितम्बर:Punjab CM Bhagwant Singh Mann के निर्देशों पर पंजाब को नशा मुक्त राज्य बनाने के लिए चलाई जा रही मुहिम दौरान सीमा पार चल रहे Against Narco-Terrorism Networks बड़ी सफलता दर्ज करते हुए अमृतसर कमिश्नरेट पुलिस ने छह नशा तस्करों को 9.066 किलो हेरोइन समेत गिरफ्तार करके दो और नशा तस्करी गिरोहों का पर्दाफ़ाश किया है। यह जानकारी Director General of Police (DGP) Punjab Gaurav Yadav ने वीरवार को यहाँ दी।गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की पहचान अमृतसर के गाँव काले घनूपुर के हनी (18), अमृतसर के जंडियाला गुरु के परमदीप सिंह उर्फ़ पारस (18), अमृतसर के जंडियाला गुरु के हरविंदर सिंह उर्फ़ हिंदा (19), अमृतसर के गाँव डांडे के गुरप्रीत सिंह उर्फ़ गोपी (25), तरनतारन के गाँव ढाला की जसबीर कौर (40) और तरनतारन के गाँव हवेलियां की कुलविंदर कौर (54) के रूप में हुई है।यह कार्रवाई अमृतसर कमिश्नरेट पुलिस द्वारा मोगा स्थित जगप्रीत सिंह उर्फ़ जग्गा द्वारा चलाए जा रहे नशा तस्करी सिंडिकेट के मुख्य सहयोगी यासीन मुहम्मद को 7.1 किलो हेरोइन समेत गिरफ्तार करने के एक दिन बाद अमल में लाई गई है।डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि शुरुआती जांच से पता लगा है कि जंडियाला गुरु का रहने वाला हरप्रीत उर्फ़ हैपी जट्ट विदेशी गैंगस्टर के पाकिस्तान स्थित तस्करों से सीधे संबंध रखता था और वह सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्मों का इस्तेमाल कर इस नेटवर्क को चला रहा था।डीजीपी ने कहा कि अमृतसर के पुलिस स्टेशन छेहरटा में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई हैं और दोनों मामलों में व्यापक नेटवर्क और सीमा पार के आगे-पीछे के संबंध स्थापित करने के लिए और जांच की जा रही है।पहले ऑपरेशन के विवरण साझा करते हुए, पुलिस कमिश्नर (सीपी) अमृतसर गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने कहा कि शुरू में, आरोपी हनी को 20 ग्राम हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया गया था और आगे की जांच दौरान उसके साथी परमदीप सिंह उर्फ़ पारस को नामज़द किया गया, जिसे बाद में 5.032 किलो हेरोइन समेत गिरफ्तार कर लिया गया।उन्होंने कहा कि जांच दौरान मॉड्यूल के दो और सदस्यों, हरविंदर हिंदा और गुरप्रीत गोपी को नामज़द करके गिरफ्तार किया गया, जबकि पुलिस टीमों ने गुरप्रीत के कब्ज़े से 3.010 किलो हेरोइन और बरामद की, जिससे इस मॉड्यूल से कुल रिकवरी 8.062 किलो हो गई है।सीपी ने कहा कि गिरफ्तार किए गए आरोपी गुरप्रीत और परमदीप सीमा पार से ड्रोन के जरिए गिराई जा रही नशे की खेप को तय स्थानों – जैसे कूड़े के ढेर या चिन्हित खंभों – से उठाते थे। उन्होंने आगे कहा कि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति हैपी जट्ट के निर्देशों पर हेरोइन की खेप को आगे सप्लाई करते थे।एक अन्य कार्रवाई में, सीपी गुरप्रीत भुल्लर ने कहा कि जसबीर कौर और कुलविंदर कौर नाम की दो महिला तस्करों को 1.004 किलो हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार आरोपी जसबीर कौर पाकिस्तानी तस्करों से सीधे संपर्क में थी। उन्होंने कहा कि दोनों मॉड्यूलों में एक ही पाकिस्तान-आधारित तस्कर का साझा संबंध था।

पंजाब

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Narco-Terrorism Networks : नशा तस्कर 9 किलो हेरोइन के साथ गिरफ्तार

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भगवंत मान ने बुलाया स्पेशल विधानसभा

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Breaking : DA को लेकर सरकार का बड़ा

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इनफार्मेशन : SIR बनाम SSR: मतदाता सूची सुधार की दो प्रक्रिया, जानिए क्या है फर्क

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Finance Department : 'आशा वर्करों' के लिए छह महीने की मातृत्व अवकाश को मंजूरी

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PM Narendra Modi : प्रधान मंत्री की राहत पंजाब बाढ़ प्रभावित लोगों पर एक "निर्दयी मज़ाक": चीमा

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Operation Rahat : पंजाब सरकार ने बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत कार्य तेज

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Flood in Punjab : पंजाब में 900 किलोमीटर लंबे धुसी बांधों को मज़बूत करने की ज़रूरत

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पहल : लोगो के घर बना कर देगा अमृतसर प्रशासन, कारोबार भी करवाएगा

हरियाणा

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Haryana News : हरियाणा में 5600 पुलिस भर्ती रद्द करना लाखों युवाओं के भविष्य के साथ क्रूर मज़ाक: अनुराग ढांडा

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Haryana : पुलिस क्यों नहीं तोड़ पा रही हरियाणा में नशा तस्करों का नेटवर्क: कुमारी सैलजा

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Press Gallery Committee : दिल्ली पुलिस द्वारा पंजाब के पत्रकारों की अवैध हिरासत की निंदा की

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इनकम टैक्स में बदलाव : FM Nirmala Sitharaman ने किया यह ऐलान

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गब्बर हुए नाराज : अपनी सरकार के खिलाफ करेंगे अनशन

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चण्डीगढ़

राजनीती

Niti Aayog Meeting का बायकॉट, नहीं जाएंगे भगवान मान

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-- कल दिल्ली में होनी है Niti Aayog Meeting, भगवंत मान ने लिखी प्रधानमंत्री को चिट्ठी दी स्टेट हैडलाइंस चंडीगढ़।पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा दिल्ली में होने वाली कल Niti Aayog Meeting का बायकॉट करने का ऐलान कर दिया है। नीति आयोग की इस मीटिंग में मुख्यमंत्री भगवंत मान शामिल होने के लिए नहीं जा रहे हैं। इस संबंध में भगवंत मान द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखते हुए अवगत भी करवा दिया है कि इस तरह की मीटिंग में कोई भी मसला हल नहीं होता बल्कि सिर्फ फोटो सेशन करते हुए वापस भेज दिया जाता है l ऐसे में वह Niti Aayog Meeting में शामिल नहीं होंगेl अगर प्रधानमंत्री इस बात का भरोसा देते हैं कि पंजाब द्वारा उठाए जाने वाले मसलों पर मीटिंग में चर्चा होने के साथ-साथ उन्हें हल तरफ ले जाया जाएगा तो वह मीटिंग में शामिल हो सकते हैं परंतु किसी के फोटो सेशन में वह नहीं आएंगे। पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पश्चात पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा नीति आयोग की मीटिंग का बायकाट करने वाले दूसरे मुख्यमंत्री बन गए हैं। ऐसे में देश में एक नई परंपरा शुरू हो गई है कि अगर आपके सुनवाई नहीं होती है तो आप मीटिंग का बायकॉट करते हुए अपनी नाराजगी रख सकते हैं। यह भी पढ़े :- अरविन्द केजरीवाल ने भी किया बायकॉट अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा भी Niti Aayog Meeting की मीटिंग का बायकॉट करने का ऐलान कर दिया गया है l इस संबंध में अरविंद केजरीवाल द्वारा प्रधानमंत्री को दो पेज का पत्र भी लिखा गया है, जिसमें उन्होंने फेडरल सिस्टम को खत्म करने के साथ-साथ दिल्ली के मामलों में दखलंदाजी को लेकर काफी नाराजगी जाहिर की है। पश्चिमी बंगाल और पंजाब के पश्चात अब दिल्ली द्वारा भी नीति आयोग की मीटिंग का बायकॉट करने का ऐलान करने के चलते अब इस मीटिंग में 3 राज्यों के मुख्यमंत्री भाग नहीं लेंगे l बताया जा रहा है कि इस बायकॉट की कड़ी में कई और भी राज्य शामिल हो सकते हैं l पलपल की खबरों पर अपडेट के लिए पेज को सब्सक्राईब करें व FACEBOOK और TWITER को फॉलो करें l

शिक्षा

New GST Rates : जीएसटी में बदलाव: क्या हुआ सस्ता, क्या हुआ महंगा

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नए जीएसटी दरें : एक विस्तृत अध्ययनप्रस्तावनाभारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में कर प्रणाली (Tax System) हमेशा से जटिल और बहस का विषय रही है। वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax - GST) 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था, ताकि “एक राष्ट्र, एक कर” (One Nation, One Tax) की नीति को वास्तविक रूप दिया जा सके। जीएसटी के आने से पहले अलग-अलग राज्यों और केंद्र द्वारा लगाए जाने वाले कई कर लागू होते थे, जिससे व्यवसायियों और उपभोक्ताओं दोनों को समस्याएँ होती थीं।वर्ष 2025 में सरकार ने फिर से नई जीएसटी दरों (New GST Rates) में बदलाव किए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य राजस्व वृद्धि, कर चोरी पर रोक, और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि नई जीएसटी दरें क्या हैं, किन-किन क्षेत्रों में बदलाव हुए हैं, और इनका देश की अर्थव्यवस्था व आम जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा।जीएसटी का संक्षिप्त इतिहासस्वतंत्रता के बाद कर प्रणाली – भारत में केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग प्रकार के कर लगाती थीं, जैसे एक्साइज ड्यूटी, वैट (VAT), सेवा कर (Service Tax) आदि।जीएसटी का प्रस्ताव – 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय जीएसटी पर चर्चा शुरू हुई।संविधान संशोधन – 2016 में संविधान (122वां संशोधन) विधेयक पारित हुआ।लागू होना – 1 जुलाई 2017 को जीएसटी पूरे देश में लागू हुआ।जीएसटी परिषद (GST Council) – यह एक संवैधानिक संस्था है जो दरें तय करती है। इसमें केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं।जीएसटी दरों की मौलिक संरचनाजीएसटी में मुख्य रूप से चार दरें तय की गई हैं:5% – आवश्यक वस्तुएँ और सेवाएँ।12% – सामान्य उपभोग की वस्तुएँ।18% – अधिकांश वस्तुएँ और सेवाएँ।28% – लक्ज़री और हानिकारक उत्पाद (जैसे कारें, तंबाकू, शराब आदि)।इसके अतिरिक्त कुछ वस्तुओं पर 0% (मुक्त) दर लागू है, जैसे अनाज, ताजे फल-सब्ज़ियाँ, दूध आदि।नई जीएसटी दरें (2025 के संशोधन)सरकार ने हाल ही में कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दरों में परिवर्तन किए हैं। ये बदलाव मुख्य रूप से राजस्व संग्रह बढ़ाने और उपभोक्ता वस्तुओं को सस्ता करने के उद्देश्य से किए गए हैं।1. दैनिक उपभोग की वस्तुएँपैक की हुई दही, लस्सी और छाछ – पहले 12% जीएसटी लगता था, अब इसे 5% कर दिया गया है।पैक की हुई आटा, सूजी और मैदा – पहले 5%, अब 0% (मुक्त श्रेणी) में।2. इलेक्ट्रॉनिक्समोबाइल फोन और कंप्यूटर के पुर्ज़े – पहले 18% था, अब इसे 12% कर दिया गया है।LED टीवी (32 इंच तक) – पहले 18%, अब 12%।3. स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएँनिजी अस्पतालों में ₹5,000 तक का रूम रेंट – अब भी मुक्त।₹5,000 से ₹10,000 के बीच का रूम रेंट – पहले 18%, अब 12%।ऑनलाइन शिक्षा सेवाएँ – पहले 18%, अब 12%।4. ऑटोमोबाइल सेक्टरइलेक्ट्रिक वाहन (EV) – पहले 12%, अब 5%।हाइब्रिड वाहन – पहले 28%, अब 18%।पेट्रोल/डीजल कारें – दरों में कोई बदलाव नहीं, अब भी 28% + सेस।5. पर्यटन और होटल₹1,000 प्रति रात से कम किराए वाले होटल – मुक्त।₹1,000 से ₹7,500 प्रति रात तक – पहले 18%, अब 12%।₹7,500 से ऊपर – 18% यथावत।6. सेवाएँऑनलाइन गेमिंग – पहले अस्पष्ट स्थिति थी, अब इसे स्पष्ट रूप से 28% श्रेणी में रखा गया है।क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन शुल्क – पहली बार जीएसटी लागू, दर 18%।नई दरों का विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव1. आम जनता पर प्रभावदैनिक उपभोग की वस्तुओं पर कर कम होने से आम जनता को राहत मिलेगी।इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ थोड़ी सस्ती होंगी, जिससे डिजिटल इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।होटल और पर्यटन उद्योग में सस्ती दरों से मध्यम वर्ग को लाभ होगा।2. व्यवसायियों पर प्रभावछोटे और मंझोले उद्योगों के लिए अनुपालन आसान होगा।इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर में बिक्री बढ़ने की संभावना।ऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो कंपनियों पर कर का बोझ बढ़ेगा।3. सरकार पर प्रभावराजस्व संग्रह बढ़ेगा क्योंकि नए क्षेत्रों (जैसे ऑनलाइन गेमिंग, क्रिप्टो) को कर जाल में लाया गया है।आवश्यक वस्तुओं पर कर कम होने से आम जनता का समर्थन मिलेगा।फायदेउपभोक्ताओं को सस्ते दामों पर ज़रूरी वस्तुएँ मिलेंगी।इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिलेगा, जो पर्यावरण हितैषी कदम है।डिजिटल सेवाएँ (ऑनलाइन शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स) सस्ती होंगी।कर संरचना और स्पष्ट हो गई है।नुकसानऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो उद्योग पर नकारात्मक असर।लक्ज़री सेक्टर में निवेशक कम हो सकते हैं।राज्यों और केंद्र के बीच राजस्व बंटवारे में असहमति बढ़ सकती है।निष्कर्षनई जीएसटी दरें भारत की अर्थव्यवस्था में संतुलन लाने का प्रयास हैं। जहाँ एक ओर आम जनता को दैनिक वस्तुओं और इलेक्ट्रॉनिक्स में राहत मिली है, वहीं सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो जैसे नए क्षेत्रों को कर के दायरे में लाकर राजस्व बढ़ाने की रणनीति अपनाई है।जीएसटी दरों में बदलाव समय-समय पर आवश्यक होते हैं ताकि देश की आर्थिक जरूरतों के साथ तालमेल बैठाया जा सके। उम्मीद है कि ये नए बदलाव उपभोक्ताओं, व्यवसायियों और सरकार — तीनों के लिए लाभकारी सिद्ध होंगे और भारत को "एक राष्ट्र, एक कर" की दिशा में और आगे ले जाएँगे। 

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New GST Rates : जीएसटी में बदलाव: क्या हुआ सस्ता, क्या हुआ महंगा

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नए जीएसटी दरें : एक विस्तृत अध्ययनप्रस्तावनाभारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में कर प्रणाली (Tax System) हमेशा से जटिल और बहस का विषय रही है। वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax - GST) 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था, ताकि “एक राष्ट्र, एक कर” (One Nation, One Tax) की नीति को वास्तविक रूप दिया जा सके। जीएसटी के आने से पहले अलग-अलग राज्यों और केंद्र द्वारा लगाए जाने वाले कई कर लागू होते थे, जिससे व्यवसायियों और उपभोक्ताओं दोनों को समस्याएँ होती थीं।वर्ष 2025 में सरकार ने फिर से नई जीएसटी दरों (New GST Rates) में बदलाव किए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य राजस्व वृद्धि, कर चोरी पर रोक, और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि नई जीएसटी दरें क्या हैं, किन-किन क्षेत्रों में बदलाव हुए हैं, और इनका देश की अर्थव्यवस्था व आम जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा।जीएसटी का संक्षिप्त इतिहासस्वतंत्रता के बाद कर प्रणाली – भारत में केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग प्रकार के कर लगाती थीं, जैसे एक्साइज ड्यूटी, वैट (VAT), सेवा कर (Service Tax) आदि।जीएसटी का प्रस्ताव – 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय जीएसटी पर चर्चा शुरू हुई।संविधान संशोधन – 2016 में संविधान (122वां संशोधन) विधेयक पारित हुआ।लागू होना – 1 जुलाई 2017 को जीएसटी पूरे देश में लागू हुआ।जीएसटी परिषद (GST Council) – यह एक संवैधानिक संस्था है जो दरें तय करती है। इसमें केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं।जीएसटी दरों की मौलिक संरचनाजीएसटी में मुख्य रूप से चार दरें तय की गई हैं:5% – आवश्यक वस्तुएँ और सेवाएँ।12% – सामान्य उपभोग की वस्तुएँ।18% – अधिकांश वस्तुएँ और सेवाएँ।28% – लक्ज़री और हानिकारक उत्पाद (जैसे कारें, तंबाकू, शराब आदि)।इसके अतिरिक्त कुछ वस्तुओं पर 0% (मुक्त) दर लागू है, जैसे अनाज, ताजे फल-सब्ज़ियाँ, दूध आदि।नई जीएसटी दरें (2025 के संशोधन)सरकार ने हाल ही में कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दरों में परिवर्तन किए हैं। ये बदलाव मुख्य रूप से राजस्व संग्रह बढ़ाने और उपभोक्ता वस्तुओं को सस्ता करने के उद्देश्य से किए गए हैं।1. दैनिक उपभोग की वस्तुएँपैक की हुई दही, लस्सी और छाछ – पहले 12% जीएसटी लगता था, अब इसे 5% कर दिया गया है।पैक की हुई आटा, सूजी और मैदा – पहले 5%, अब 0% (मुक्त श्रेणी) में।2. इलेक्ट्रॉनिक्समोबाइल फोन और कंप्यूटर के पुर्ज़े – पहले 18% था, अब इसे 12% कर दिया गया है।LED टीवी (32 इंच तक) – पहले 18%, अब 12%।3. स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएँनिजी अस्पतालों में ₹5,000 तक का रूम रेंट – अब भी मुक्त।₹5,000 से ₹10,000 के बीच का रूम रेंट – पहले 18%, अब 12%।ऑनलाइन शिक्षा सेवाएँ – पहले 18%, अब 12%।4. ऑटोमोबाइल सेक्टरइलेक्ट्रिक वाहन (EV) – पहले 12%, अब 5%।हाइब्रिड वाहन – पहले 28%, अब 18%।पेट्रोल/डीजल कारें – दरों में कोई बदलाव नहीं, अब भी 28% + सेस।5. पर्यटन और होटल₹1,000 प्रति रात से कम किराए वाले होटल – मुक्त।₹1,000 से ₹7,500 प्रति रात तक – पहले 18%, अब 12%।₹7,500 से ऊपर – 18% यथावत।6. सेवाएँऑनलाइन गेमिंग – पहले अस्पष्ट स्थिति थी, अब इसे स्पष्ट रूप से 28% श्रेणी में रखा गया है।क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन शुल्क – पहली बार जीएसटी लागू, दर 18%।नई दरों का विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव1. आम जनता पर प्रभावदैनिक उपभोग की वस्तुओं पर कर कम होने से आम जनता को राहत मिलेगी।इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ थोड़ी सस्ती होंगी, जिससे डिजिटल इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।होटल और पर्यटन उद्योग में सस्ती दरों से मध्यम वर्ग को लाभ होगा।2. व्यवसायियों पर प्रभावछोटे और मंझोले उद्योगों के लिए अनुपालन आसान होगा।इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर में बिक्री बढ़ने की संभावना।ऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो कंपनियों पर कर का बोझ बढ़ेगा।3. सरकार पर प्रभावराजस्व संग्रह बढ़ेगा क्योंकि नए क्षेत्रों (जैसे ऑनलाइन गेमिंग, क्रिप्टो) को कर जाल में लाया गया है।आवश्यक वस्तुओं पर कर कम होने से आम जनता का समर्थन मिलेगा।फायदेउपभोक्ताओं को सस्ते दामों पर ज़रूरी वस्तुएँ मिलेंगी।इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिलेगा, जो पर्यावरण हितैषी कदम है।डिजिटल सेवाएँ (ऑनलाइन शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स) सस्ती होंगी।कर संरचना और स्पष्ट हो गई है।नुकसानऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो उद्योग पर नकारात्मक असर।लक्ज़री सेक्टर में निवेशक कम हो सकते हैं।राज्यों और केंद्र के बीच राजस्व बंटवारे में असहमति बढ़ सकती है।निष्कर्षनई जीएसटी दरें भारत की अर्थव्यवस्था में संतुलन लाने का प्रयास हैं। जहाँ एक ओर आम जनता को दैनिक वस्तुओं और इलेक्ट्रॉनिक्स में राहत मिली है, वहीं सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो जैसे नए क्षेत्रों को कर के दायरे में लाकर राजस्व बढ़ाने की रणनीति अपनाई है।जीएसटी दरों में बदलाव समय-समय पर आवश्यक होते हैं ताकि देश की आर्थिक जरूरतों के साथ तालमेल बैठाया जा सके। उम्मीद है कि ये नए बदलाव उपभोक्ताओं, व्यवसायियों और सरकार — तीनों के लिए लाभकारी सिद्ध होंगे और भारत को "एक राष्ट्र, एक कर" की दिशा में और आगे ले जाएँगे। 

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