दी स्टेट हैडलाइंस
चंडीगढ़, 13 जूनः
राज्यपाल द्वारा अपने विभिन्न पत्रों के माध्यम से मांगी गई जानकारी प्रस्तुत करने के प्रति राज्य सरकार की उदासीनता को देखते हुए, पंजाब के राज्यपाल और प्रशासक, यू.टी., चंडीगढ़, श्री बनवारी लाल पुरोहित ने मुख्यमंत्री, पंजाब, श्री भगवंत मान को संवैधानिक कर्तव्य पूरा न करने बाबत एक पत्र लिखा है।
राज्य सरकार की याचिका पर पारित भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के प्रासंगिक भाग जिसमें कहा गया हैः ‘‘यह बताना आवश्यक होगा कि मुख्यमंत्री और राज्यपाल, दोनों ही संवैधानिक पदाधिकारी हैं, जिनकी संविधान द्वारा निर्धारित निर्दिष्ट भूमिकाएँ और दायित्व हैं। राज्यपाल को अनुच्छेद 167 (बी) के अन्तर्गत राज्य के प्रशासनिक मामलों और वैधानिक प्रस्तावों से संबंधित मामलों पर मुख्यमंत्री से जानकारी मांगने का अधिकार है। जब कभी इस तरह की जानकारी मांगी जाए, तो मुख्यमंत्री इसे देने के लिए बाध्य होते हैं। ट्वीट का लहजा व तेवर और मुख्यमंत्री द्वारा पत्र लिखा जाना उचित नहीं है। राज्यपाल द्वारा मांगी गई जानकारी को प्रस्तुत नहीं करना स्पष्ट रूप से संवैधानिक कर्तव्य का अपमान है जबकि अनुच्छेद 167 (बी) के तहत जानकारी देना मुख्यमंत्री का दायित्व है”, का हवाला देते हुए राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि उनके विभिन्न पत्रों के माध्यम से मांगी गई जानकारी अभी तक प्रस्तुत नहीं की गई है, जो कि भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बताए गए संवैधानिक कर्तव्य की अवहेलना है। ।
बता दें कि मुख्यमंत्री ने सोमवार को अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट साझा करते हुए दावा किया था कि पंजाब के राज्यपाल ने मुख्यमंत्री द्वारा याद दिलाने के बाद पंजाब विधानसभा के बजट सत्र में अपने संबोधन में ‘‘मेरी सरकार” का इस्तेमाल किया। इसके जवाब में राज्यपाल ने लिखा है कि उन्होंने ‘‘भाषण देते समय ही इस सुझाव को तत्काल स्वीकार कर लिया था” जबकि मुख्यमंत्री माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के प्रति लापरवाह रहे हैं जिन्हें पारित हुए लगभग चार महीने बीत चुके हैं