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Punjab University Senate : शब्दों का हेरफेर करके पंजाबियों को बेवकूफ न बनाएं केंद्र सरकार- CM Mann

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चंडीगढ़, 6 नवंबर-Punjab University के मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने के लिए Centre Government की आलोचना करते हुए, Punjab CM Bhagwant Singh Mann ने साफ तौर पर केंद्र से लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए गंदी चालें बंद करने को कहा।मुख्यमंत्री ने कहा, "पंजाबी आपके धोखेबाज़ चरित्र से अच्छी तरह वाकिफ हैं और वे इस मुद्दे पर सिर्फ शब्दों के हेरफेर से बहकावे में नहीं आएंगे और तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक पंजाब यूनिवर्सिटी पर आदेश पूरी तरह से वापस नहीं ले लिए जाते।"मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जाने-माने कानूनी विशेषज्ञों को साथ लेकर चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी के सीनेट और सिंडिकेट को गैर-कानूनी तरीके से भंग करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करेगी। इस कदम को स्थापित नियमों का सरासर उल्लंघन बताते हुए उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थानों में से एक के लोकतांत्रिक और स्वायत्त कामकाज पर हमला है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि सीनेट और सिंडिकेट जैसे इसके प्रतिनिधि निकायों को कमजोर करने का कोई भी प्रयास अकादमिक समुदाय और पंजाब के लोगों की आकांक्षाओं और भागीदारी की अनदेखी करने जैसा है।मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं है, बल्कि पंजाब यूनिवर्सिटी पर पंजाब के अधिकारों की रक्षा करना राज्य सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है। उन्होंने दोहराया कि पंजाब सरकार पंजाब यूनिवर्सिटी के कामकाज में अपने हिस्से, अधिकारों या भागीदारी में किसी भी तरह की कमी नहीं आने देगी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि उनकी सरकार शैक्षणिक संस्थानों की स्वायत्तता और गरिमा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और पंजाब सरकार ऐसे मनमाने फैसलों का विरोध करने में राज्य के लोगों के साथ मजबूती से खड़ी है। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि पंजाब यूनिवर्सिटी का गठन पंजाब यूनिवर्सिटी एक्ट, 1947 (एक्ट VII ऑफ़ 1947) के तहत हुआ था और इसे 1947 में देश के बंटवारे के बाद लाहौर में अपनी मुख्य यूनिवर्सिटी खोने के बदले पंजाब राज्य को मुआवज़ा देने के लिए बनाया गया था। भगवंत सिंह ने कहा कि 1966 में राज्य के बंटवारे के बाद, पंजाब रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 1966 ने इसके स्टेटस को बनाए रखा, जिसका मतलब है कि यूनिवर्सिटी पहले की तरह ही काम करती रही और मौजूदा पंजाब राज्य में आने वाले इलाकों पर इसका अधिकार वैसा ही बना रहा। उन्होंने कहा कि तब से लेकर अब तक, पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ राज्य की भावनाओं, संस्कृति, साहित्य और समृद्ध विरासत का हिस्सा है।मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के इस गलत फैसले से न सिर्फ स्टेकहोल्डर्स निराश हुए हैं, बल्कि यह किसी भी अच्छे शासन और कानून के सिद्धांतों के भी खिलाफ है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इससे यूनिवर्सिटी के शिक्षकों, प्रोफेशनल्स, टेक्निकल सदस्यों, ग्रेजुएट्स और अन्य लोगों में काफी गुस्सा है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार यूनिवर्सिटी के स्टेटस में कोई भी बदलाव बर्दाश्त नहीं करेगी और इसके लिए पूरी ताकत से लड़ेगी।

पंजाब

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चण्डीगढ़

राजनीती

Niti Aayog Meeting का बायकॉट, नहीं जाएंगे भगवान मान

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-- कल दिल्ली में होनी है Niti Aayog Meeting, भगवंत मान ने लिखी प्रधानमंत्री को चिट्ठी दी स्टेट हैडलाइंस चंडीगढ़।पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा दिल्ली में होने वाली कल Niti Aayog Meeting का बायकॉट करने का ऐलान कर दिया है। नीति आयोग की इस मीटिंग में मुख्यमंत्री भगवंत मान शामिल होने के लिए नहीं जा रहे हैं। इस संबंध में भगवंत मान द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखते हुए अवगत भी करवा दिया है कि इस तरह की मीटिंग में कोई भी मसला हल नहीं होता बल्कि सिर्फ फोटो सेशन करते हुए वापस भेज दिया जाता है l ऐसे में वह Niti Aayog Meeting में शामिल नहीं होंगेl अगर प्रधानमंत्री इस बात का भरोसा देते हैं कि पंजाब द्वारा उठाए जाने वाले मसलों पर मीटिंग में चर्चा होने के साथ-साथ उन्हें हल तरफ ले जाया जाएगा तो वह मीटिंग में शामिल हो सकते हैं परंतु किसी के फोटो सेशन में वह नहीं आएंगे। पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पश्चात पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा नीति आयोग की मीटिंग का बायकाट करने वाले दूसरे मुख्यमंत्री बन गए हैं। ऐसे में देश में एक नई परंपरा शुरू हो गई है कि अगर आपके सुनवाई नहीं होती है तो आप मीटिंग का बायकॉट करते हुए अपनी नाराजगी रख सकते हैं। यह भी पढ़े :- अरविन्द केजरीवाल ने भी किया बायकॉट अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा भी Niti Aayog Meeting की मीटिंग का बायकॉट करने का ऐलान कर दिया गया है l इस संबंध में अरविंद केजरीवाल द्वारा प्रधानमंत्री को दो पेज का पत्र भी लिखा गया है, जिसमें उन्होंने फेडरल सिस्टम को खत्म करने के साथ-साथ दिल्ली के मामलों में दखलंदाजी को लेकर काफी नाराजगी जाहिर की है। पश्चिमी बंगाल और पंजाब के पश्चात अब दिल्ली द्वारा भी नीति आयोग की मीटिंग का बायकॉट करने का ऐलान करने के चलते अब इस मीटिंग में 3 राज्यों के मुख्यमंत्री भाग नहीं लेंगे l बताया जा रहा है कि इस बायकॉट की कड़ी में कई और भी राज्य शामिल हो सकते हैं l पलपल की खबरों पर अपडेट के लिए पेज को सब्सक्राईब करें व FACEBOOK और TWITER को फॉलो करें l

शिक्षा

New GST Rates : जीएसटी में बदलाव: क्या हुआ सस्ता, क्या हुआ महंगा

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नए जीएसटी दरें : एक विस्तृत अध्ययनप्रस्तावनाभारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में कर प्रणाली (Tax System) हमेशा से जटिल और बहस का विषय रही है। वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax - GST) 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था, ताकि “एक राष्ट्र, एक कर” (One Nation, One Tax) की नीति को वास्तविक रूप दिया जा सके। जीएसटी के आने से पहले अलग-अलग राज्यों और केंद्र द्वारा लगाए जाने वाले कई कर लागू होते थे, जिससे व्यवसायियों और उपभोक्ताओं दोनों को समस्याएँ होती थीं।वर्ष 2025 में सरकार ने फिर से नई जीएसटी दरों (New GST Rates) में बदलाव किए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य राजस्व वृद्धि, कर चोरी पर रोक, और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि नई जीएसटी दरें क्या हैं, किन-किन क्षेत्रों में बदलाव हुए हैं, और इनका देश की अर्थव्यवस्था व आम जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा।जीएसटी का संक्षिप्त इतिहासस्वतंत्रता के बाद कर प्रणाली – भारत में केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग प्रकार के कर लगाती थीं, जैसे एक्साइज ड्यूटी, वैट (VAT), सेवा कर (Service Tax) आदि।जीएसटी का प्रस्ताव – 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय जीएसटी पर चर्चा शुरू हुई।संविधान संशोधन – 2016 में संविधान (122वां संशोधन) विधेयक पारित हुआ।लागू होना – 1 जुलाई 2017 को जीएसटी पूरे देश में लागू हुआ।जीएसटी परिषद (GST Council) – यह एक संवैधानिक संस्था है जो दरें तय करती है। इसमें केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं।जीएसटी दरों की मौलिक संरचनाजीएसटी में मुख्य रूप से चार दरें तय की गई हैं:5% – आवश्यक वस्तुएँ और सेवाएँ।12% – सामान्य उपभोग की वस्तुएँ।18% – अधिकांश वस्तुएँ और सेवाएँ।28% – लक्ज़री और हानिकारक उत्पाद (जैसे कारें, तंबाकू, शराब आदि)।इसके अतिरिक्त कुछ वस्तुओं पर 0% (मुक्त) दर लागू है, जैसे अनाज, ताजे फल-सब्ज़ियाँ, दूध आदि।नई जीएसटी दरें (2025 के संशोधन)सरकार ने हाल ही में कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दरों में परिवर्तन किए हैं। ये बदलाव मुख्य रूप से राजस्व संग्रह बढ़ाने और उपभोक्ता वस्तुओं को सस्ता करने के उद्देश्य से किए गए हैं।1. दैनिक उपभोग की वस्तुएँपैक की हुई दही, लस्सी और छाछ – पहले 12% जीएसटी लगता था, अब इसे 5% कर दिया गया है।पैक की हुई आटा, सूजी और मैदा – पहले 5%, अब 0% (मुक्त श्रेणी) में।2. इलेक्ट्रॉनिक्समोबाइल फोन और कंप्यूटर के पुर्ज़े – पहले 18% था, अब इसे 12% कर दिया गया है।LED टीवी (32 इंच तक) – पहले 18%, अब 12%।3. स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएँनिजी अस्पतालों में ₹5,000 तक का रूम रेंट – अब भी मुक्त।₹5,000 से ₹10,000 के बीच का रूम रेंट – पहले 18%, अब 12%।ऑनलाइन शिक्षा सेवाएँ – पहले 18%, अब 12%।4. ऑटोमोबाइल सेक्टरइलेक्ट्रिक वाहन (EV) – पहले 12%, अब 5%।हाइब्रिड वाहन – पहले 28%, अब 18%।पेट्रोल/डीजल कारें – दरों में कोई बदलाव नहीं, अब भी 28% + सेस।5. पर्यटन और होटल₹1,000 प्रति रात से कम किराए वाले होटल – मुक्त।₹1,000 से ₹7,500 प्रति रात तक – पहले 18%, अब 12%।₹7,500 से ऊपर – 18% यथावत।6. सेवाएँऑनलाइन गेमिंग – पहले अस्पष्ट स्थिति थी, अब इसे स्पष्ट रूप से 28% श्रेणी में रखा गया है।क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन शुल्क – पहली बार जीएसटी लागू, दर 18%।नई दरों का विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव1. आम जनता पर प्रभावदैनिक उपभोग की वस्तुओं पर कर कम होने से आम जनता को राहत मिलेगी।इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ थोड़ी सस्ती होंगी, जिससे डिजिटल इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।होटल और पर्यटन उद्योग में सस्ती दरों से मध्यम वर्ग को लाभ होगा।2. व्यवसायियों पर प्रभावछोटे और मंझोले उद्योगों के लिए अनुपालन आसान होगा।इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर में बिक्री बढ़ने की संभावना।ऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो कंपनियों पर कर का बोझ बढ़ेगा।3. सरकार पर प्रभावराजस्व संग्रह बढ़ेगा क्योंकि नए क्षेत्रों (जैसे ऑनलाइन गेमिंग, क्रिप्टो) को कर जाल में लाया गया है।आवश्यक वस्तुओं पर कर कम होने से आम जनता का समर्थन मिलेगा।फायदेउपभोक्ताओं को सस्ते दामों पर ज़रूरी वस्तुएँ मिलेंगी।इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिलेगा, जो पर्यावरण हितैषी कदम है।डिजिटल सेवाएँ (ऑनलाइन शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स) सस्ती होंगी।कर संरचना और स्पष्ट हो गई है।नुकसानऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो उद्योग पर नकारात्मक असर।लक्ज़री सेक्टर में निवेशक कम हो सकते हैं।राज्यों और केंद्र के बीच राजस्व बंटवारे में असहमति बढ़ सकती है।निष्कर्षनई जीएसटी दरें भारत की अर्थव्यवस्था में संतुलन लाने का प्रयास हैं। जहाँ एक ओर आम जनता को दैनिक वस्तुओं और इलेक्ट्रॉनिक्स में राहत मिली है, वहीं सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो जैसे नए क्षेत्रों को कर के दायरे में लाकर राजस्व बढ़ाने की रणनीति अपनाई है।जीएसटी दरों में बदलाव समय-समय पर आवश्यक होते हैं ताकि देश की आर्थिक जरूरतों के साथ तालमेल बैठाया जा सके। उम्मीद है कि ये नए बदलाव उपभोक्ताओं, व्यवसायियों और सरकार — तीनों के लिए लाभकारी सिद्ध होंगे और भारत को "एक राष्ट्र, एक कर" की दिशा में और आगे ले जाएँगे। 

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New GST Rates : जीएसटी में बदलाव: क्या हुआ सस्ता, क्या हुआ महंगा

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नए जीएसटी दरें : एक विस्तृत अध्ययनप्रस्तावनाभारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में कर प्रणाली (Tax System) हमेशा से जटिल और बहस का विषय रही है। वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax - GST) 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था, ताकि “एक राष्ट्र, एक कर” (One Nation, One Tax) की नीति को वास्तविक रूप दिया जा सके। जीएसटी के आने से पहले अलग-अलग राज्यों और केंद्र द्वारा लगाए जाने वाले कई कर लागू होते थे, जिससे व्यवसायियों और उपभोक्ताओं दोनों को समस्याएँ होती थीं।वर्ष 2025 में सरकार ने फिर से नई जीएसटी दरों (New GST Rates) में बदलाव किए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य राजस्व वृद्धि, कर चोरी पर रोक, और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि नई जीएसटी दरें क्या हैं, किन-किन क्षेत्रों में बदलाव हुए हैं, और इनका देश की अर्थव्यवस्था व आम जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा।जीएसटी का संक्षिप्त इतिहासस्वतंत्रता के बाद कर प्रणाली – भारत में केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग प्रकार के कर लगाती थीं, जैसे एक्साइज ड्यूटी, वैट (VAT), सेवा कर (Service Tax) आदि।जीएसटी का प्रस्ताव – 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय जीएसटी पर चर्चा शुरू हुई।संविधान संशोधन – 2016 में संविधान (122वां संशोधन) विधेयक पारित हुआ।लागू होना – 1 जुलाई 2017 को जीएसटी पूरे देश में लागू हुआ।जीएसटी परिषद (GST Council) – यह एक संवैधानिक संस्था है जो दरें तय करती है। इसमें केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं।जीएसटी दरों की मौलिक संरचनाजीएसटी में मुख्य रूप से चार दरें तय की गई हैं:5% – आवश्यक वस्तुएँ और सेवाएँ।12% – सामान्य उपभोग की वस्तुएँ।18% – अधिकांश वस्तुएँ और सेवाएँ।28% – लक्ज़री और हानिकारक उत्पाद (जैसे कारें, तंबाकू, शराब आदि)।इसके अतिरिक्त कुछ वस्तुओं पर 0% (मुक्त) दर लागू है, जैसे अनाज, ताजे फल-सब्ज़ियाँ, दूध आदि।नई जीएसटी दरें (2025 के संशोधन)सरकार ने हाल ही में कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दरों में परिवर्तन किए हैं। ये बदलाव मुख्य रूप से राजस्व संग्रह बढ़ाने और उपभोक्ता वस्तुओं को सस्ता करने के उद्देश्य से किए गए हैं।1. दैनिक उपभोग की वस्तुएँपैक की हुई दही, लस्सी और छाछ – पहले 12% जीएसटी लगता था, अब इसे 5% कर दिया गया है।पैक की हुई आटा, सूजी और मैदा – पहले 5%, अब 0% (मुक्त श्रेणी) में।2. इलेक्ट्रॉनिक्समोबाइल फोन और कंप्यूटर के पुर्ज़े – पहले 18% था, अब इसे 12% कर दिया गया है।LED टीवी (32 इंच तक) – पहले 18%, अब 12%।3. स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएँनिजी अस्पतालों में ₹5,000 तक का रूम रेंट – अब भी मुक्त।₹5,000 से ₹10,000 के बीच का रूम रेंट – पहले 18%, अब 12%।ऑनलाइन शिक्षा सेवाएँ – पहले 18%, अब 12%।4. ऑटोमोबाइल सेक्टरइलेक्ट्रिक वाहन (EV) – पहले 12%, अब 5%।हाइब्रिड वाहन – पहले 28%, अब 18%।पेट्रोल/डीजल कारें – दरों में कोई बदलाव नहीं, अब भी 28% + सेस।5. पर्यटन और होटल₹1,000 प्रति रात से कम किराए वाले होटल – मुक्त।₹1,000 से ₹7,500 प्रति रात तक – पहले 18%, अब 12%।₹7,500 से ऊपर – 18% यथावत।6. सेवाएँऑनलाइन गेमिंग – पहले अस्पष्ट स्थिति थी, अब इसे स्पष्ट रूप से 28% श्रेणी में रखा गया है।क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन शुल्क – पहली बार जीएसटी लागू, दर 18%।नई दरों का विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव1. आम जनता पर प्रभावदैनिक उपभोग की वस्तुओं पर कर कम होने से आम जनता को राहत मिलेगी।इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ थोड़ी सस्ती होंगी, जिससे डिजिटल इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।होटल और पर्यटन उद्योग में सस्ती दरों से मध्यम वर्ग को लाभ होगा।2. व्यवसायियों पर प्रभावछोटे और मंझोले उद्योगों के लिए अनुपालन आसान होगा।इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर में बिक्री बढ़ने की संभावना।ऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो कंपनियों पर कर का बोझ बढ़ेगा।3. सरकार पर प्रभावराजस्व संग्रह बढ़ेगा क्योंकि नए क्षेत्रों (जैसे ऑनलाइन गेमिंग, क्रिप्टो) को कर जाल में लाया गया है।आवश्यक वस्तुओं पर कर कम होने से आम जनता का समर्थन मिलेगा।फायदेउपभोक्ताओं को सस्ते दामों पर ज़रूरी वस्तुएँ मिलेंगी।इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिलेगा, जो पर्यावरण हितैषी कदम है।डिजिटल सेवाएँ (ऑनलाइन शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स) सस्ती होंगी।कर संरचना और स्पष्ट हो गई है।नुकसानऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो उद्योग पर नकारात्मक असर।लक्ज़री सेक्टर में निवेशक कम हो सकते हैं।राज्यों और केंद्र के बीच राजस्व बंटवारे में असहमति बढ़ सकती है।निष्कर्षनई जीएसटी दरें भारत की अर्थव्यवस्था में संतुलन लाने का प्रयास हैं। जहाँ एक ओर आम जनता को दैनिक वस्तुओं और इलेक्ट्रॉनिक्स में राहत मिली है, वहीं सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो जैसे नए क्षेत्रों को कर के दायरे में लाकर राजस्व बढ़ाने की रणनीति अपनाई है।जीएसटी दरों में बदलाव समय-समय पर आवश्यक होते हैं ताकि देश की आर्थिक जरूरतों के साथ तालमेल बैठाया जा सके। उम्मीद है कि ये नए बदलाव उपभोक्ताओं, व्यवसायियों और सरकार — तीनों के लिए लाभकारी सिद्ध होंगे और भारत को "एक राष्ट्र, एक कर" की दिशा में और आगे ले जाएँगे। 

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