— यदि संविधान में ऐसे अपराध के लिए किसी सज़ा का विधान होता तो समूची भाजपा लीडरशिप को होनी थी फांसी
— भाजपा ने भारतीय संविधान के सरप्रस्तों विशेषकर बाबा साहेब डा. बी. आर. अम्बेडकर जैसों को भूलाया- Bhagwant mann
दी स्टेट हैडलाइंस
चंडीगढ़, 20 मईl
पंजाब के मुख्यमंत्री Bhagwant mann ने आज कहा कि देश में ‘ लोकतंत्र के कत्ल’ के अक्षम्य गुनाह से भाजपा की समूची लीडरशिप के हाथ रंगे हुए हैं।
आज यहां से जारी बयान में मुख्यमंत्री Bhagwant mann ने कहा कि भगवा पार्टी ने ग़ैर-लोकतांत्रिक ढंग से विरोधी पक्षों की आवाज़ को दबा कर लोकतंत्र की मूल भावना को गहरी चोट पहुंचायी है। उन्होंने कहा कि इन नेताओं ने देश में लोकतंत्र की मर्यादा को अपूरर्णीय क्षति पहुँचायी है, जो समूचे देश और यहाँ के लोगों के लिए बहुत घातक है। भगवंत मान ने कहा, “ यदि भारत के संविधान में ऐसे अक्षम्य अपराध के लिए कोई सज़ा की व्यवस्था होती तो भाजपा की समूची लीडरशिप फांसी के फंदे पर लटकी होनी थी।“
मुख्यमंत्री Bhagwant mann ने कहा कि गलत और संकुचित सोच वाले इन नेताओं ने लोकतंत्रीय मूल्यों का नुकसान करके भारतीय संविधान के सरप्रस्तों विशेषकर बाबा साहेब डा. बी. आर. अम्बेडकर का घोर निरादर किया है। उन्होंने कहा कि इससे देश के लोकतंत्रीय ढांचे और भारतीय संविधान में अटूट आस्था रखने वाले हर देश निवासी के मन को गहरी ठेस पहुँची है। भगवंत मान ने कहा कि देश के लोग भाजपा को इस घिनौनी हरकत के लिए कभी भी माफ नहीं करेंगे और उनको मुँह-तोड़ जवाब देंगे।
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यदि देश को एक प्रधानमंत्री और 30-31 राज्यपालों से ही चलाना है तो चुनाव पर करोड़ों रुपए ख़र्च करने की क्या ज़रूरत : भगवंत मान
मुख्यमंत्री Bhagwant mann ने व्यंग्य करते हुये कहा, “यदि देश को एक प्रधानमंत्री और 30-31 राज्यपालों ने ही चलाना है तो चुनाव प्रक्रिया पर करोड़ों रुपए ख़र्च करने की क्या ज़रूरत रह जाती है।“ उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में लोग सर्वोच्च होते हैं और सरकार उनके द्वारा चुने गए लोगों के द्वारा चलाई जाती है। परन्तु अफ़सोस की बात है कि भाजपा के नादरशाही निज़ाम के दौरान केंद्र के कुछ चुने हुए व्यक्ति राज्यों के मामलों में अनावश्यक दखलअन्दाज़ी कर रहे हैं, जो असहनीय है। भगवंत मान ने कहा कि भाजपा लोगों की तरफ से चुने हुए नुमायंदों पर जबरन धौंस जमाने के लिए इन चुनिंदा व्यक्तियों को संरक्षण दे रही है, जोकि लोकतंत्र के लिए बहुत घातक और ग़ैर-वाजिब है।
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