— क्या पंजाब में G20 मीटिंग को रोकने की कोशिशें हुई
— कानून व्यवस्था को खराब बता किया जा रहा पंजाब को बदनाम
दी स्टेट हैडलाइंस
चंडीगढ़।
विपक्ष पंजाब में होने वाली जी-20 की मीटिंग को लेकर जनता को किसी प्रकार की जानकारी दे रहा था या फिर केंद्र सरकार को इशारे इशारे में सलाह दी जा रही थी। यह बड़ा सवाल आज जी-20 की मीटिंग को लेकर फैलाई जा रही अफवाह के बाद उठ रहा है।
किसी भी राज्य के लिए यह सौभाग्य पूर्ण बात होगी कि जी-20 की मीटिंग उनके राज्य में हो रही है जबकि पंजाब में होने वाली मीटिंग को लेकर विपक्ष ने एतवार को सारा दिन अफवाह का दौर चला कर रखा।
इससे ऐसा लग रहा था कि वह केंद्र में बैठी भाजपा सरकार को सलाह दे रहा है कि पंजाब में कानून व्यवस्था को मध्य नजर रखते हुए जी-20 की बैठक को ही रद्द कर दे। हालांकि विपक्ष की तरफ से खुलकर इस बारे में कुछ नहीं कहा गया परंतु ट्विटर बार में उनका इशारा साफ था कि पंजाब से G20 की मीटिंग वापस ली जा सकती है।
विपक्ष द्वारा शक जाहिर किये जाने के पश्चात पंजाब के मीडिया से लेकर दिल्ली मीडिया तक ने इस खबर को खूब भुनाया और अलग-अलग ढंग से चलाया। जिसका असर दिल्ली में बैठी सरकार तक दिखाई देने लग गया था।
अफवाह को विपक्ष ने बदल दिया था विश्वास में
विपक्ष की ट्वीटर वार पश्चात एक बार तो ऐसा लगने लग गया था कि पंजाब के अमृतसर में होने वाली G20 की मीटिंग अब नहीं होगी परंतु देर शाम G20 सेक्रेटेरिएट को ही सामने आकर यह स्पष्टीकरण देना पड़ा कि ऐसा कुछ भी नहीं होने जा रहा है और पहले से तय शेड्यूल के अनुसार ही जी-20 की मीटिंग अमृतसर में होगी।
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विपक्ष की इस हरकत से मुख्यमंत्री भी नाराज
विपक्ष की तरफ से हर छोटी मोटी चीज को बढ़ा चढ़ा कर दिखाने की आदत से मुख्यमंत्री भगवंत मान नाराज हो गए हैं। भगवंत मान का मानना है कि विपक्ष को अपना पक्ष रखने की पूरी तरह से आजाद है और जहां पर सत्तापक्ष गलत हो वहां पर सत्तापक्ष को घेरने का भी अधिकार रखता है परंतु जहां बात राज्य के अधिकारों की आ जाए वहां पर राज्य के साथ होने वाली बहन सफरी के लिए विपक्ष को सत्ता पक्ष के साथ खाना चाहिए बल्कि यहां पर इसके उल्ट हो रहा है। अफवाहों का दौर से चलाते हुए राज्य के खिलाफ ही काम किया जा रहा है।