चंडीगढ़, 4 फरवरी। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा आज ‘हाथ से हाथ जोड़ो अभियान’ के तहत महेंद्रगढ़ जिले के डेढ़ दर्जन से ज्यादा कार्यक्रमों में शामिल हुए जिनमें गांव बनिहाड़ी, गांव अकबरपुर (नांगल चौधरी), गांव मांदी (नारनौल) आदि शामिल थे। इस दौरान उन्होंने सरसों किसानों को पाले के कारण हुए नुकसान का मुद्दा उठाते हुए मांग करी कि सरकार पाले से खराब हुई सरसों की फसल की जल्द से जल्द गिरदावरी कराकर किसानों को पूरा मुआवजा दे। उन्होंने कहा कि हरियाणा के कई जिलों में पाला पड़ने से सरसों समेत अन्य फसलों को नुकसान हुआ है। लेकिन सरकार ने न तो कोई गिरदावरी करवाई और न ही मुआवजे का ऐलान किया। दीपेन्द्र हुड्डा ने प्रदेश सरकार को चेतावनी दी कि बिना देरी किए सरकार मुआवजे का ऐलान करे, नहीं तो संसद के बजट सत्र में हरियाणा के कुल 15 सांसदों में एक मात्र विपक्षी सांसद होने के बावजूद वो देश की सबसे बड़ी पंचायत में हरियाणा सरकार की पोल खोलने का काम करेंगे। इस दौरान नहरी पानी संघर्ष समिति का एक प्रतिनिधिमण्डल सांसद दीपेन्द्र हुड्डा से मिला और नलवाटी के 28 गाँवों में नहर का टुकड़ा न होने से वहाँ नहर खुदवाने की मांग को विधानसभा में उठाने की मांग का ज्ञापन सौंपा। दीपेन्द्र हुड्डा ने उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी मांगों को प्रमुखता से कांग्रेस पार्टी द्वारा विधान सभा में उठाया जाएगा। इसके अलावा, दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि मनेठी एम्स अभी केवल कागजों पर ही है जबकि, वर्ष 2015 में मनेठी (रेवाड़ी) एम्स की घोषणा की गई थी, जिसे 28 फ़रवरी, 2019 को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिली। बावजूद इसके, आज तक इसका काम शुरू नहीं हुआ और इसमें एक ईंट भी नहीं जोड़ी गई। उन्होंने कहा कि सरकार कोरी घोषणाएं, खानापूर्ति वाला रवैया छोड़े और बाधाओं को दूरकर मनेठी एम्स का काम जल्द शुरु कराए।
प्रतिनिधिमण्डल में शामिल किसानों ने सांसद दीपेन्द्र हुड्डा को बताया कि निजामपुर ब्लॉक के 28 गाँवों में नहर अभी तक नहीं खुदी है। जोहड़ सारे सूख गए हैं। जलस्तर 1500 फुट पर चला गया है और तो और पीने का पानी भी नियमित नहीं आ रहा है। इसलिए यहाँ बरसात के समय ही बाजरे की फसल होती है जिसे सरकार खरीद ही नहीं रही। ऐसे में किसानों ने सरसों लगाई थी जो पाले के कारण पूरी तरह से नष्ट हो गई। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि अकेले महेंद्रगढ़ जिले में पिछले दिनों पड़े पाले के कारण सरसों की फसल में भारी नुकसान हुआ। ज्यादातर इलाकों में सरसों की अगेती फसलें नुकसान की जद में आई हैं, क्योंकि जल्द बुवाई वाली सरसों में इन दिनों दाना बनने लगता है, लेकिन पाला पड़ने से फलियां ही जमकर नष्ट हो गईं। जिससे अब उपज नहीं मिल सकती। दीपेन्द्र हुड्डा ने यह भी कहा कि सरकार किसानों को पिछले कई सीजन का बकाया मुआवजा भी भुगतान करे। हरियाणा दूसरा बड़ा सरसों उत्पादक राज्य है। यहाँ प्रति एकड़ से 8 से 10 क्विंटल सरसों की उपज मिलती है, जिससे किसानों को 50,000 से 60,000 रुपये तक आमदनी हो जाती है। लेकिन पाले के चलते उनको भारी घाटा उठाना पड़ रहा है।