— नियमानुसार Minimum Salary 13854 रुपए मिलनी चाहिए, परन्तु 10500 में काम कर रहे है अध्यापक
दी स्टेट हैडलाइंस
चंडीगढ़।
देश का भविष्य तैयार कर रहे पंजाब के स्कूलों में अध्यापक एक लेबर वाले से भी कम तनख्वाह (Minimum Salary) पर अपना गुजारा कर रहे हैं। लेबर के लिए कम से कम तनख्वाह तय करने वाले लेबर कमिश्नर के नियमों को भी तोड़ कर पंजाब का शिक्षा विभाग लेबर से कम तनख्वाह पर अध्यापकों से काम करवा रहा है।
हैरानी की बात तो यह है कि इन अध्यापकों से आज से नहीं बल्कि पिछले 13 साल से ऐसे ही काम लिया जा रहा है और इनकी तनख्वाह में एक पैसे की भी बढ़ोतरी तक नहीं की जा रही है। लेबर कमिश्नर द्वारा तय की गई कम से कम (Minimum Salary) तनख्वाह के अनुसार इन अध्यापकों को पक्का नहीं होने तक 13854 रुपए तनख्वाह मिलनी चाहिए परंतु इन अध्यापकों को सरकारी अधिकारियों की बेरुखी का शिकार होते हुए मात्र 10300 मिल रहे हैं जोकि लेबर कमिश्नर व पंजाब सरकार के आदेशों के बिल्कुल उलट है।
अकाली-भाजपा सरकार से अभी तक हो रहे है सरकारी मार का शिकार
जानकारी अनुसार साल 2011-12 में शिरोमणि अकाली दल व भाजपा की सरकार द्वारा पंजाब में अध्यापकों की भर्ती खोली गई थी। इस दौरान 3442 से लेकर कई अन्य ग्रुप में अध्यापकों को भर्ती किया गया परंतु इन अध्यापकों को 3 साल की परीक्षण अवधि के पश्चात भी इन्हें आज तक पक्का नहीं किया गया है। यह अध्यापक अभी तक कानूनी लड़ाई हाईकोर्ट में जीतने के पश्चात भी अपने पक्का होने का इंतजार कर रहे हैं तो दूसरी तरफ इन अध्यापकों के साथ शिक्षा विभाग तनख्वाह को लेकर भी सरकारी मार रहा है।
200 के करीब इन अध्यापकों को पिछले 10 से ज्यादा सालों से मात्र 10300 ही तनख्वाह मिल रही है जबकि आज की तारीख में लेबर कमिश्नर द्वारा तय किए गए तनख्वाह ग्रेड के अनुसार कम से कम इनको 13854 देना जरूरी है परंतु शिक्षा विभाग के अधिकारी अपनी ही सरकार के लेबर कमिश्नर के नियमों को नहीं मान रहे है।
लेबर कमिश्नर के पास हुई शिकायत तो हो सकती है बड़ी कार्रवाई
शिक्षा विभाग में कार्यरत यह अध्यापक अगर पंजाब के लेबर कमिश्नर के पास शिकायत लेकर पहुंच जाते हैं तो शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है क्योंकि किसी भी हालत में कम से कम (Minimum Salary)तय की गई तनख्वाह से नीचे किसी भी अध्यापक या अन्य कर्मचारी को तनख्वाह नहीं दी जा सकती है। ऐसे में अगर शिक्षा विभाग के खिलाफ शिकायत हो जाए तो लेबर कमिश्नर द्वारा नियमों के अनुसार सख्त कार्रवाई करने के आदेश भी जारी किए जा सकते हैं।
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सरकारें बदल गई लेकिन नहीं बदली अधिकारियों के परेशान करने की मंशा
डेमोक्रेटिक टीचर फ्रंट के लीडरों का कहना है कि समय-समय पर पंजाब में सरकारी तो बदल गई परंतु उन सरकारों में काम करने वाले उच्च अधिकारियों कि परेशान करने वाली मानसिकता आज तक नहीं बदली है। शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को यह सोचना चाहिए कि आज के महंगाई के समय में क्या कोई अध्यापक अपने घर का गुजारा 10300 में चला सकता है। अगर यह अधिकारी अपनी मानसिकता के अनुसार तनख्वाह में बढ़ोतरी नहीं करना चाहते तो कम से कम (Minimum Salary) लेबर कमिश्नर के नियमों की ही पालना कर लें कि इन अध्यापकों को आम लेबर करने वाले लेबर कर्मचारियों से कम तनख्वाह तो ना दी जाए।
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