Chronic Fatigue syndrome in Hindi: बहुत बार लोगों की जिंदगी में ऐसी स्थिति बन जाती है कि वह दिन भर पूरी नींद तो लेते हैं, परंतु फिर भी उनकी थकान और सुस्ती नहीं जाती। इसके पीछे बहुत से कारण हो सकते हैं जिसे अनदेखा करना बिल्कुल भी सही नहीं होगा। क्योंकि इससे जुडी एक बीमारी काफी तेज़ी से फ़ैल रही है जिसे क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम भी बोला जाता है। यह इंसान के शरीर को लंबे समय तक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से ग्रसित कर सकता है जो हमारे शरीर के पूरे सिस्टम पर प्रभाव डाल सकते हैं। इस बीमारी का नाम तो लोगों ने बहुत कम सुना होगा और बहुत ही कम लोग इससे अवगत होंगे कि इसके कितने ही गंभीर परिणाम लोगों को देखने मिल सकते हैं।
इस डिजीज को मेडिकल टर्म में मायालाजिक इंसेफेलोमायिलाईटीज बोला जाता है। इसके होने का मुख्य कारण इम्यून सिस्टम की कमजोरी और इन्फेक्शन भी हो सकता है। यह समस्या ज्यादातर 40 से 70 वर्ष के लोगों में होती है और औरतों में इसका प्रभाव ज्यादा देखा जाता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति कभी-कभी तो अपने रोजाना के कामों में भी काफी दिक्कतों का सामना करते है, क्योंकि उन्हें बहुत थकान और आलस महसूस होता है।
आजकल यह लोगो में दिन प्रतिदिन बढती जा रही है क्योंकि लोगों का खान-पान और लाइफस्टाइल बहुत गलत हो चुका है। इसका इलाज के लिए बहुत सारी तरीके मौजूद है परन्तु हर इंसान पर इसका प्रभाव अलग अलग ही पडता है। आज इस आर्टिकल में हम क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम के कुछ लक्षण, कारण, जांच के तरीके और ट्रीटमेंट के बारे में बताने की कोशिश करने जा रहे हैं। इसलिए इस आर्टिकल को पर ध्यान से पढ़ें। Chronic Fatigue syndrome in Hindi
Chronic Fatigue syndrome in Hindi: क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम के कारण
इस बीमारी के बहुत से कारण हो सकते है। क्योकि यह किसी भी वियक्ति को हो सकती है जिसके कारण इसके बारे में सही अंदाज़ा लगाना काफी कठिन है। इसके कुछ कारण यह दिए हुए है:-
- वायरस का आक्रमण
- हार्मोनल इंबैलेंस के कारण
- इम्यून सिस्टम की कमजोरी
- शारीरिक या मानसिक तनाव
- लिंग(Gender)
- क्रोनिक सिंड्रोम के लक्षण
- याददाश्त कमजोर होना
- सर दर्द या माइग्रेन की समस्या आ जाना
- घुटनों में दर्द
- चक्कर आना
- सोने में परेशानी आना या अनिद्रा होना
- ध्यान केन्द्रित न कर पाना
- गले में दर्द
- थकावट या सुस्ती
जाचने का तरीक ( Diagnosis )
यह एक ऐसा सिंड्रोम है जिसका पता लगाना बहुत ही मुश्किल होता है क्योंकि इसके लिए कोई भी निश्चित टेस्ट नहीं है जिसके द्वारा इसके होने या ना होने का पता लग सके। परंतु इसके लक्षणों और इसके मिलते-जुलते हाव भाव से भी हम अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसी समस्या व्यक्ति को हो सकती है। इसलिए इस बीमारी का पता करने के लिए कुछ जांच के तरीके हैं जो की यहाँ दिए गए है:- Chronic Fatigue syndrome in Hindi
- ब्लड या यूरीन सैंपल की जांच से भी इस बीमारी का पता लग सकता है।
- डॉक्टर मरीज से उसकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में भी जान सकता है जिससे पता लग सके कि इसका होने का कारण क्या है।
- मरीज से उसकी सोने की आदतों से संबंधी समस्याएं के बारे में भी जानकारी ले कर इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है।
- शारीरिक और मानसिक तौर पर वह कितना सवस्थ है उसके बारे में भी डॉक्टर जांच पड़ताल कर सकता है।
क्रॉनिक फेटिंग सिंड्रोम का ट्रीटमेंट
अध्ययन के अनुसार अभी तक तो वैसे इस बीमारी का कोई भी इलाज नहीं मिल पाया है परंतु कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें डॉक्टर मरीज को बताकर उन्हें इस समस्या से निकालने का प्रयास करते हैं वह है:-
थेरेपी
आजकल थेरेपी ने अपना इतना ज्यादा असर हर बीमारी पर दिखाया हुआ है कि डॉक्टर सबसे पहले व्यक्ति को थैरेपिस्ट ट्राई करने को ही बोलते हैं। किसी भी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए दी गयी दवाईयों के साइड इफेक्ट्स उनके शरीर पर देखे जा सकते हैं पर थेरेपी के विपरीत परिणाम देखने के चांसेस बहुत ही नाम मात्र होते हैं। Chronic Fatigue syndrome in Hindi
सबसे पहले तो वह व्यक्ति की काउंसलिंग करते हैं और उसे थेरेपी का सुझाव देते हैं जिससे उन्हें यह पता चल जाता है की वह कितना मानसिक तनाव या उससे जुड़ी परेशानियों से जूझ रहा है ताकि वह उस हिसाब से उन्हें थेरेपी सेशन दे सके। इस थेरेपी में वह मरीज को सोने से पहले मोबाइल ना देखने, सोने से पहले कोई भी चाय कॉफी का सेवन न करने कमरे को साफ रखने आदि करने को कहते है क्योंकि इससे व्यक्ति को थकावट बनी रहेगी और उसे नींद भी जल्दी आएगी। Chronic Fatigue syndrome in Hindi
लाइफस्टाइल में परिवर्तन
इस समस्या का सबसे बड़ा कारण यह हो सकता है कि व्यक्ति अपने लाइफस्टाइल पर सही तरीके से ध्यान नहीं दे रहे है और बहुत ही गलत खान-पान कर रहे हैं जो उनके जीवन में समस्याए खड़ी करने के इलावा और कुछ भी नहीं करता है। इसके लिए ही डॉक्टर व्यक्ति को अपने लाइफ़स्टाइल में कुछ चेंज करने को बोलते हैं जिसमे सबसे पहले तो मैदे से बनी चीजों का सेवन बंद करके पोषण से भरपूर आहार खाने की सलाह दी जाती है। इसके अतिरिक्त अगर व्यक्ति रोजाना व्यायाम करे, सही टाइम पर सोये और खाए, दोस्तों से मिलकर अपना दिल हल्का करे तो यह समस्या काफी हद तक सुलझाई जा सकती है। Chronic Fatigue syndrome in Hindi
मेडिकेशन
तीसरा और सबसे जरूरी जिसके बिना कोई भी बीमारी का ट्रीटमेंट आजकल तो मुश्किल ही लगता है क्योंकि लोग थेरेपी या अपनी जीवनशैली में परिवर्तन करने के बजाये दवाइयां खाना ज्यादा पसंद करते हैं। डॉक्टर्स के द्वारा व्यक्ति को कुछ मेडिकेशन भी प्रदान की जाती है जिससे उसकी कोशिकाएं मजबूत हो और इम्यून सिस्टम स्ट्रांग हो ताकि उसको ऐसी कोई भी बीमारियां न लगे और उसका तनाव और स्ट्रेस भी थोड़ा कम रहे। इसके अतिरिक्त डॉक्टर मरीज को जल्दी नींद आने के लिए नींद की दवाई भी दे सकते हैं जिससे उन्हें सोने में कोई कठिनाई न हो। Chronic Fatigue syndrome in Hindi
इस आर्टिकल में जानकारी सामान्य रूप से दी गई है। इसलिए इस पर अमल करने से पहले अपने नजदीकी डॉक्टर से जरूर सलाह ले। दी स्टेट हेडलाइंस किसी भी बात की कोई भी पुष्टि नहीं करता है।
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