सकीना ने जन्म के बाद देखा भाई का चेहरा पहली बार (Kartarpur Corridor)
दी स्टेट हैडलाइंस
चंडीगढ़, 7 अगस्त l
एक परिवार जो 1947 भारत और पाकिस्तान के बटवारे से पहले लुधियाना के गाव जस्सोवल मैं रहता था. 1947 के बंटवारे के समय सकीना का परिवार पाकिस्तान आ गया. पिता का नाम वली मोहम्मत व दादा का नाम जामू था।Kartarpur Corridor
पाकिस्तान में जन्मी सकीना बताती हैं में बंटवारे के समय सकीना का परिवार लुधियाना के जस्सोवाल में रहता था। बंटवारे के समय सकीना का परिवार पाकिस्तान आ गया, लेकिन उसकी मां भारत में ही रह गई। आजादी के समय दोनों देशों में समझौता हुआ कि लापता लोगों को एक-दूसरे को लौटा दिया जाएगा। जिसके बाद पिता ने पाकिस्तान सरकार से मदद मांगी। सकीना बताती है कि अपने जन्म के बाद पहली बार अपने 80 साल के भाई गुरमेल सिंह से श्री करतारपुर साहिब में मिली,। जन्म के बाद से उसने अपने भाई को सिर्फ तस्वीर में ही देखा था। पहली बार सामने देख दोनों एक दूसरे को गले लगा रोते रहे और एक दुसरे के आंसू ही पोंछते रहे। Kartarpur Corridor
यू-ट्यूब चैनल ने भाई से वीडियो कॉल पर जोड़ा (Kartarpur Corridor)
सकीना ने बताया कि वो हमेशा ही सोचती थी एक दिन अपने परिवार से जरुर मिलूगी, उसने मन में ठान ली थी की परिवार को जरुर खोजुगी, भाई के बारे मं जानकारी मिली पर लेकिन असफल रही। माता-पिता के देहांत के बाद यही एक रिश्ता बचा था। सकीना ने कहा कि उसकाना ना कोई चाचा है और ना ही मौसी। उसका मकसद सिर्फ भाई को खोजना था।
बेटी के पति को जब सकीना की कहानी का पता चला तो उन्होंने इन दोनों को मिलाने की कोशिश करनी शुरू किए। पाकिस्तान में यू-ट्यूब चैनल ने सकीना के पास रखे कुछ खतों की मदद से भारत के पंजाब में संपर्क करना शुरू किया। बीते साल के अंत में सकीना की पहली बार अपने भाई से वीडियो कॉल पर बात हुई।
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जब दोनों की विडिओ कॉल हुई तो दोनों ने श्री करतारपुर साहिब मैं मिलने का सोचा, इसके बाद सकीना और उसके भाई गुरमेल के परिवार ने श्री करतारपुर साहिब (Kartarpur Corridor) में मिलने के लिए पहुँचे। श्री करतारपुर साहिब में गुरमेल अपनी बहन से पहली बार मिला। दोनों गले मिलकर खूब रोए और बस लम्हा देखने लायेक था दोनों एक दुसरे को देख रो रहे थे और दोनों एक दूसरे की आंखें पोंछ रहे थे।
सकीना के भाई गुरमेल सिंह लुधियाना के गांव जस्सोवाल में रहते हैं। गुरमेल सिंह की एक बेटी और पत्नी है। अब वो 80 साल के हो चुके है। गुरमेल सिंह बताते है की उनको बीते साल जब उन्हें पता चला कि उनकी कोई बहन भी है तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा। उन्हें लगा कि शुक्र है, कोई उनका अपना भी इस दुनिया में है
जब उनको अपनी बहिन के बारे मैं पता चला तभी अगस्त 2022 में अपना पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया शुरू की और अपनी बहन से मिलने के लिए कोशिशें शुरू कर दी। 76 साल के बाद गुरमेल ने किसी अपने को गले लगाया है।
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