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Sunday, Sep 14, 2025
Flood in Punjab : पंजाब में 900 किलोमीटर लंबे धुसी बांधों को मज़बूत करने की ज़रूरत
नई दिल्ली/चंडीगढ़, 08 सितम्बरराज्यसभा सदस्य और पर्यावरण प्रेमी Sant Balbir Singh Seechewal ने कहा कि बाढ़ों से निजात पाने के लिए हमें कुदरत के करीब जाना होगा और दरिया के लिए बाढ़ क्षेत्र छोड़ना होगा। पिछले 29 दिनों से बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाकर पीड़ितों का सहारा बने संत सीचेवाल ने कहा कि हमें वैश्विक स्तर पर हो रहे जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए अपनी फसलें तय करनी होंगी। जलवायु परिवर्तन से आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि जिस विकास मॉडल को प्रस्तुत किया जा रहा है, उसने तबाही मचाई है। इस विकास मॉडल ने जंगलों और पहाड़ों का विनाश किया है।संत सीचेवाल ने कहा कि दरिया के किनारे सभ्यताएँ बसने का बड़ा कारण यह था कि दरिया अपने साथ उपजाऊ मिट्टी लाती थीं। यही मिट्टी खेती के लिए लाभदायक होती थी, पर जब से इंसान ने कुदरत से छेड़छाड़ करनी शुरू की है, तब से मुश्किलों में घिरता जा रहा है।गौरतलब है कि पंजाब में सतलुज, ब्यास, रावी और घग्गर के इर्द-गिर्द कुल 900 किलोमीटर लंबे धुसी बांध हैं। इनमें से 226 किलोमीटर सतलुज, 164 किलोमीटर रावी, 104 किलोमीटर ब्यास और लगभग 100 किलोमीटर घग्गर के किनारे हैं। इसके अलावा छोटी नदियों और चोओं (नालों) के आसपास भी 300 किलोमीटर लंबे कच्चे बांध बने हुए हैं। ये बांध 1950-60 के दशक में बनाए गए थे और इस बार आई बाढ़ ने पानी के पिछले सारे पिछले रिकॉर्ड तोड़ दिए।संत सीचेवाल ने कहा कि धुसी बांधों को मज़बूत करने के लिए इनके ऊपर पक्की सड़कों का निर्माण होना चाहिए और बांधों पर पेड़ लगाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि बाढ़ से बचाव का सबसे आसान तरीका है कि हम अपने खेतों या ट्यूबवेल पर कम से कम पाँच पेड़ लगाएँ। उन्होंने बताया कि पंजाब में 14 लाख ट्यूबवेल हैं और अगर हर ट्यूबवेल पर पाँच पेड़ भी लग जाएँ तो 70 लाख पेड़ों की बढ़ोतरी होगी। ये पेड़ बाढ़ को कम करने में सहायक होंगे और समय पर वर्षा कराने में भी मददगार साबित होंगे।
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