New GST Rates : जीएसटी में बदलाव: क्या हुआ सस्ता, क्या हुआ महंगा

नए जीएसटी दरें : एक विस्तृत अध्ययन
प्रस्तावना
भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में कर प्रणाली (Tax System) हमेशा से जटिल और बहस का विषय रही है। वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax - GST) 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था, ताकि “एक राष्ट्र, एक कर” (One Nation, One Tax) की नीति को वास्तविक रूप दिया जा सके। जीएसटी के आने से पहले अलग-अलग राज्यों और केंद्र द्वारा लगाए जाने वाले कई कर लागू होते थे, जिससे व्यवसायियों और उपभोक्ताओं दोनों को समस्याएँ होती थीं।
वर्ष 2025 में सरकार ने फिर से नई जीएसटी दरों (New GST Rates) में बदलाव किए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य राजस्व वृद्धि, कर चोरी पर रोक, और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि नई जीएसटी दरें क्या हैं, किन-किन क्षेत्रों में बदलाव हुए हैं, और इनका देश की अर्थव्यवस्था व आम जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
जीएसटी का संक्षिप्त इतिहास
स्वतंत्रता के बाद कर प्रणाली – भारत में केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग प्रकार के कर लगाती थीं, जैसे एक्साइज ड्यूटी, वैट (VAT), सेवा कर (Service Tax) आदि।
जीएसटी का प्रस्ताव – 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय जीएसटी पर चर्चा शुरू हुई।
संविधान संशोधन – 2016 में संविधान (122वां संशोधन) विधेयक पारित हुआ।
लागू होना – 1 जुलाई 2017 को जीएसटी पूरे देश में लागू हुआ।
जीएसटी परिषद (GST Council) – यह एक संवैधानिक संस्था है जो दरें तय करती है। इसमें केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं।
जीएसटी दरों की मौलिक संरचना
जीएसटी में मुख्य रूप से चार दरें तय की गई हैं:
5% – आवश्यक वस्तुएँ और सेवाएँ।
12% – सामान्य उपभोग की वस्तुएँ।
18% – अधिकांश वस्तुएँ और सेवाएँ।
28% – लक्ज़री और हानिकारक उत्पाद (जैसे कारें, तंबाकू, शराब आदि)।
इसके अतिरिक्त कुछ वस्तुओं पर 0% (मुक्त) दर लागू है, जैसे अनाज, ताजे फल-सब्ज़ियाँ, दूध आदि।
नई जीएसटी दरें (2025 के संशोधन)
सरकार ने हाल ही में कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दरों में परिवर्तन किए हैं। ये बदलाव मुख्य रूप से राजस्व संग्रह बढ़ाने और उपभोक्ता वस्तुओं को सस्ता करने के उद्देश्य से किए गए हैं।
1. दैनिक उपभोग की वस्तुएँ
पैक की हुई दही, लस्सी और छाछ – पहले 12% जीएसटी लगता था, अब इसे 5% कर दिया गया है।
पैक की हुई आटा, सूजी और मैदा – पहले 5%, अब 0% (मुक्त श्रेणी) में।
2. इलेक्ट्रॉनिक्स
मोबाइल फोन और कंप्यूटर के पुर्ज़े – पहले 18% था, अब इसे 12% कर दिया गया है।
LED टीवी (32 इंच तक) – पहले 18%, अब 12%।
3. स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएँ
निजी अस्पतालों में ₹5,000 तक का रूम रेंट – अब भी मुक्त।
₹5,000 से ₹10,000 के बीच का रूम रेंट – पहले 18%, अब 12%।
ऑनलाइन शिक्षा सेवाएँ – पहले 18%, अब 12%।
4. ऑटोमोबाइल सेक्टर
इलेक्ट्रिक वाहन (EV) – पहले 12%, अब 5%।
हाइब्रिड वाहन – पहले 28%, अब 18%।
पेट्रोल/डीजल कारें – दरों में कोई बदलाव नहीं, अब भी 28% + सेस।
5. पर्यटन और होटल
₹1,000 प्रति रात से कम किराए वाले होटल – मुक्त।
₹1,000 से ₹7,500 प्रति रात तक – पहले 18%, अब 12%।
₹7,500 से ऊपर – 18% यथावत।
6. सेवाएँ
ऑनलाइन गेमिंग – पहले अस्पष्ट स्थिति थी, अब इसे स्पष्ट रूप से 28% श्रेणी में रखा गया है।
क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन शुल्क – पहली बार जीएसटी लागू, दर 18%।
नई दरों का विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव
1. आम जनता पर प्रभाव
दैनिक उपभोग की वस्तुओं पर कर कम होने से आम जनता को राहत मिलेगी।
इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ थोड़ी सस्ती होंगी, जिससे डिजिटल इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।
होटल और पर्यटन उद्योग में सस्ती दरों से मध्यम वर्ग को लाभ होगा।
2. व्यवसायियों पर प्रभाव
छोटे और मंझोले उद्योगों के लिए अनुपालन आसान होगा।
इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर में बिक्री बढ़ने की संभावना।
ऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो कंपनियों पर कर का बोझ बढ़ेगा।
3. सरकार पर प्रभाव
राजस्व संग्रह बढ़ेगा क्योंकि नए क्षेत्रों (जैसे ऑनलाइन गेमिंग, क्रिप्टो) को कर जाल में लाया गया है।
आवश्यक वस्तुओं पर कर कम होने से आम जनता का समर्थन मिलेगा।
फायदे
उपभोक्ताओं को सस्ते दामों पर ज़रूरी वस्तुएँ मिलेंगी।
इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिलेगा, जो पर्यावरण हितैषी कदम है।
डिजिटल सेवाएँ (ऑनलाइन शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स) सस्ती होंगी।
कर संरचना और स्पष्ट हो गई है।
नुकसान
ऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो उद्योग पर नकारात्मक असर।
लक्ज़री सेक्टर में निवेशक कम हो सकते हैं।
राज्यों और केंद्र के बीच राजस्व बंटवारे में असहमति बढ़ सकती है।
निष्कर्ष
नई जीएसटी दरें भारत की अर्थव्यवस्था में संतुलन लाने का प्रयास हैं। जहाँ एक ओर आम जनता को दैनिक वस्तुओं और इलेक्ट्रॉनिक्स में राहत मिली है, वहीं सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो जैसे नए क्षेत्रों को कर के दायरे में लाकर राजस्व बढ़ाने की रणनीति अपनाई है।
जीएसटी दरों में बदलाव समय-समय पर आवश्यक होते हैं ताकि देश की आर्थिक जरूरतों के साथ तालमेल बैठाया जा सके। उम्मीद है कि ये नए बदलाव उपभोक्ताओं, व्यवसायियों और सरकार — तीनों के लिए लाभकारी सिद्ध होंगे और भारत को "एक राष्ट्र, एक कर" की दिशा में और आगे ले जाएँगे।
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