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Shravan Somwar Vrat : सुने महादेव की यह व्रत कथा

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admin

Updated At 14 Aug 2023 at 05:26 AM

-- महादेव भोलेनाथ करेंगे असीम कृपा, जो अपनाएंगे Shravan Somwar Vrat vidhi

-- भोलेनाथ का सोमवार का व्रत रखने से पूरी हो जाती हैं मनोकामनाएं

Shravan Somwar Vrat : सोमवार का व्रत आज यानी 14 अगस्त को रखा जा रहा है। पुरातन समय से चलती आ रहे हमारे धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में भोलेनाथ का सोमवार का व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं तो बड़े से बड़े दुख और संकट भी टल जाते हैं।

सावन महीने में भोलेनाथ शिव शंकर की असीम कृपा रहती है और सावन का महीना भोलेनाथ को ही समर्पित रहता है। इस सावन के महीने में सोमवार के व्रत को अहम माना जाता है क्योंकि यह भोलेनाथ की कृपा से ही रखा जा सकता है और भोलेनाथ ही इसको पूर्ण करवाते हैं।

सोमवार व्रत कथा : Shravan Somwar Vrat katha hindi

Shravan Somwar Vrat katha : एक बार की बात है एक नगर में एक बड़ा साहूकार रहता था l जिसके घर में पैसे और धन की किसी भी तरह से कमी नहीं थी परंतु उसके घर में संतान नहीं होने के चलते परिवार और वह दुखी रहता था। यह साहूकार शिव भोलेनाथ पर पूर्ण विश्वास रखता था l इसी कारण प्रत्येक सोमवार को व्रत रखने के साथ-साथ पूरी श्रद्धा के साथ शिव मंदिर जाकर शिव पार्वती की पूजा करता था।

इस साहूकार की भक्ति को देखकर एक दिन मां पार्वती काफी ज्यादा प्रसन्न हो गई और उन्होंने महादेव शिव शंभू से उक्त साहूकार की मनोकामना को पूर्ण करने का आग्रह किया तो भगवान शिव ने कहा कि शिव हे पार्वती, इस संसार में जो भी प्राणी आता है l उसको अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है। हर किसी का अपना भाग्य है और अपने भाग्य के अनुसार ही उसे फल मिलता है। परंतु मां पार्वती ने फिर से भगवान शिव से आग्रह किया कि साहूकार बड़ा भक्त है और उसकी भक्ति का ही मान रखते हुए उसकी मनोकामना पूर्ण करने के साथ उसे पुत्र प्राप्ति देने की विनती की।

पुत्र की आयु रहेगी केवल 12 वर्ष तक

माता पार्वती के आग्रह पर शिव भगवान ने साहूकार को पुत्र प्राप्ति का वरदान देते हुए कहा कि उसके पुत्र की आयु केवल 12 वर्ष तक ही रहेगी। इस बात को सुनकर साहूकार ना तो ज्यादा खुश था और ना ही दुखी था l वह पहले की भांति शिव भगवान और पार्वती मां की पूजा करता रहा। इसके कुछ समय पश्चात साहूकार के घर में एक पुत्र हुआ जब यह पुत्र 11 वर्ष की आयु का हुआ तो उसे पढ़ने के लिए घर से दूर काशी भेज दिया गया।

साहूकार ने अपने पुत्र के मामा को बुलाकर ढेर सारा धन दिया और कहा कि आप उनके पुत्र को काशी में विद्या की प्राप्ति के लिए ले जाएं और रास्ते में यज्ञ जरूर करें। जहां भी जाकर करें तो वहां पर ब्राह्मणों को भोजन करते हुए दक्षिण जरूर देना। दोनों मामा भांजा इसी तरह रास्ते भर में यज्ञ करवाते और ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देते हुए काशी की ओर चल पड़े।

रास्ते में एक नगर पड़ा जहां नगर के राजा की कन्या का विवाह हो रहा था लेकिन जिस राजकुमार से उसका विवाह होना था वह एक आंख से काना था। राजकुमार की पिता ने अपने पुत्र की काना होने के बात को छुपाने के लिए एक चाल चली और साहूकार के पुत्र को देखकर उसके मन में एक विचार आया l उसने सोचा कि क्यों ना इस लड़के को ही दूल्हा बना कर राजकुमारी से शादी करवा दे। शादी के पश्चात लड़के की इच्छा के अनुसार धन देकर विदा कर दिया जाएगा और राजकुमारी को वोह अपने नगर में ले जाएंगे।

दूल्हे के वस्त्र पहन कर उसे राजकुमारी से विवाह करवाया

इस विचार के पश्चात लड़के को दूल्हे के वस्त्र पहन कर उसे राजकुमारी से विवाह करवा दिया गया परंतु साहूकार का पुत्र ईमानदार था l उसे यह बात अच्छी नहीं लगी l उसने समय पाकर राजकुमारी की चुन्नी के पल्लू पर लिख दिया कि तुम्हारा विवाह तो मेरे साथ हुआ है परंतु जिस राजकुमार के साथ तुम्हें भेजा जाएगा l वह पहले से ही एक आंख से काना है और यह तो काशी में पढ़ने के लिए जा रहा है।

जब राजकुमारी ने अपनी चुन्नी पर लिखी हुई बात को पढ़ने के पश्चात अपने माता-पिता को बताया तो राजा ने अपनी पुत्री को काने के साथ भेजने से इंकार कर दिया l जिसके चलते बरात बिना दुल्हन लिए ही वापस चली गई।

अगले ही दिन साहू करके लड़का अपने मामा के साथ काशी की ओर रवाना हो गया l जहां जाकर उन्होंने यज्ञ किया l जिस दिन लड़का यज्ञ कर रहा था, उसी दिन उसकी आयु 12 साल की थी। इस दौरान लड़के ने अपने मामा से कहा कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है तो मामा ने तुरंत जवाब दिया कि तुम अंदर जाकर सो जाओ l भगवान शिवजी के वरदान अनुसार कुछ ही देर में उसे बालक के प्राण निकल गए।

मृतक भांजे को देखकर मां ने विलाप करना शुरू कर दिया l उसी समय मां पार्वती और शिव भगवान वहां से गुजर रहे थे।

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मां पार्वती ने शिव भगवान से कहा कि रोने की आवाज आ रही है, कोई काफी रो रहा हैl आप उस व्यक्ति के कष्ट को जरूर दूर करें। भगवान शिव भोलेनाथ मृतक बालक के समीप गए तो उन्होंने बोला कि यह उसी साहूकार का पुत्र है जिसे 12 वर्ष की आयु का वरदान दिया था l अब इसकी आयु पूरी हो चुकी है तो इसी कारण यह मृतक हो गया है। परंतु मां पार्वती ने कहा कि हे महादेव आप इस बालक को और आयु देने की कृपा करें अन्यथा इसके विलाप में इसके माता-पिता तड़प तड़प कर मर जाएंगे।

भगवान शिव ने उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया

माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव द्वारा उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया गया। शिव भोले जी की कृपा से वह लड़का जीवित हो गया और शिक्षा प्राप्त करके लड़का मामा के साथ जब अपने नगर की ओर चल दिया तो दोनों ने चलते हुए इस नगर में पहुंचे जहां उसका विवाह हुआ था। उन्होंने उसी नगर में भी यज्ञ का आयोजन कियाl उस लड़के के ससुर ने उसे पहचान लिया। जिसके पश्चात उस लड़के को महल में ले जाकर उसकी खातिरदारी की गई और अपनी पुत्री को उसके साथ विदा कर दिया। उधर साहूकार और उसकी पत्नी भूखे प्यासे बेटे की प्रतीक्षा कर रहे थे।

उन्होंने प्रण ले रखा था कि अगर उनके पुत्र की मृत्यु का समाचार मिला तो वह अपने प्राण त्याग देंगे। परंतु अपने पुत्र के जीवित होने का समाचार मिला तो वह काफी प्रसन्न हुए l उसी रात भगवान शिव ने साहूकार के सपने में आकर कहा कि हे श्रेष्ठी, तेरे सोमवार के व्रत करने और व्रत कथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लंबी आयु प्रदान की है। इसी प्रकार जो कोई भी सोमवार को व्रत करते हुए कथा सुनता है l उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं l

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