बच्चों में दिखे यह संकेत तो हो सकती है गंभीर बीमारी
admin
Updated At 06 Apr 2024 at 09:41 PM
Down Syndrome in Hindi: आजकल लोगों के बुरे खानपान की वजह से उनको काफी तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नही बहुत सी बीमारी ऐसी है जो केवल उन तक ही सीमित नहीं रहती, परंतु आगे चलकर उनके आगे आने वाली पीढ़ी में भी इन समस्याओं की संभावना काफी बढ़ जाती है। यही कारण है कि आज अनुवांशिकता के कारण होने वाली बीमारियों का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। उन्हीं बीमारियों में से एक है डाउन सिंड्रोम।
अध्ययन के अनुसार पाया जाता है कि इस समस्या में एक बच्चे का जन्म 21 क्रोमोसोम की एक एक्स्ट्रा कॉपी के साथ होता है।जिसके कारण ही इसे ट्रायसोमी 21 भी कहा जाता है। बहुत से लोग इसके बारे में अवगत नहीं है, परंतु यह एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है। इससे बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास बहुत लंबे समय के बाद होता है और कभी-कभी वह विकलांग भी हो जाता है। जिस भी बच्चे को इस समस्या का सामना करना पड़ता है उसके संबंधियों को उनकी तरफ बहुत ही ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
इस बीमारी में विकलांगता आने के कारण व्यक्ति की उम्र भी काफी कम हो जाती है। जिसके कारण वह बाकी बच्चों की तरह नहीं जी पाता।मिली जानकारी यह भी बताती है कि डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे के चेहरे का आकार और बौद्धिक विकास अलग होता है। इससे जूझ रहे हर व्यक्ति में इसके लक्षण अलग ही होते हैं और बीमारी को ठीक करना एकदम ना के बराबर होता है। परंतु कुछ थेरेपी और मेडिकेशन के साथ इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है। आज इस आर्टिकल में हम डाउन सिंड्रोम के कुछ लक्षण, कारण और इलाज के बारे में बताने की कोशिश करेंगे। इसलिए इस आर्टिकल को पूरा ध्यान से पढ़ें। Down Syndrome in Hindi
Down Syndrome in Hindi: डाउन सिंड्रोम के लक्षण
डाउन सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है जिसके लक्षण बच्चों के जन्म से ही दिखना शुरू हो जाते हैं और यह हर बच्चे में अलग होते हैं और साफ तरह से प्रमाणित होते हैं। इन्हीं सभी लक्षणों में कुछ लक्षण मुख्य हैं। जो यह है:
- गर्दन के पीछे त्वचा का बढ़ना
- अवरुद्ध विकास
- दिमाग की हानि
- सीधा सिर
- बड़ी जीभ
- मोटा नाक
- असामान्य बाहरी कान
- जन्मजात हृदय रोग
- अनचाहे टेस्टिकल
- जीभ में उभार
- छोटी गर्दन
- छोटे हाथ
- तिरछी आँखे
- असामान्य दांत
- नाल हर्निया
- हाइपोटोनिया
- ध्यान केंद्रित ना कर पाना
डाउन सिंड्रोम के कारण
किसी भी व्यक्ति में डाउन सिंड्रोम के होने का सबसे बड़ा कारण उसके Genes होते हैं, क्योंकि यह उसे उसके माता-पिता से प्राप्त होते हैं और यह बीमारी आनुवंशिकता से सबसे ज्यादा जुड़ी हुई होती है। जो Genes होते हैं वह बच्चों में क्रोमोजोम्स के द्वारा पहुंचते हैं। साधारण बच्चों में जब भी कोशिकाओं का विकास होता है तो बच्चों को आधे क्रोमोजोम्स उसकी मां से प्राप्त होते हैं और आधे उसके पिता से। लेकिन डाउन सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक ऐसा क्रोमोसोम होता है जो सही ढंग से अलग नहीं हो पाता है और बच्चे के शरीर में दो के बजाय तीन क्रोमोजोम्स पहुंच जाते हैं और इसी गुणसूत्र के कारण बच्चों का शारिरिक और मानसिक विकास काफी धीमा पड़ जाता है।
इसके पीछे के अन्य कारणों का पता लगाना अभी तक संभव नहीं हो पाया है। परंतु यह बताया जाता है कि यदि कोई महिला 35 की उम्र के बाद बच्चे को जन्म देती है तो उस बच्चों में डाउन सिंड्रोम होने का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है। इतना ही नहीं बल्कि डॉक्टर के द्वारा यह भी बताया जाता है कि यदि किसी माता-पिता की पहली संतान को डाउन सिंड्रोम की समस्या हो तो उनके आगे आने वाले हर संतान को इस समस्या से जूझना पड़ सकता है। यह बीमारी हर एक को नहीं होती, परंतु जिस भी मां-बाप को होती है उसके आगे बच्चे को होने की संभावना काफी ज्यादा होती है। Down Syndrome in Hindi
डाउन सिंड्रोम का इलाज
इस बीमारी का कोई भी पूर्ण इलाज नहीं है परंतु कुछ तरीका है जिनके इस्तेमाल से हम उन पीड़ितों को अपना सहयोग दे सकते हैं और वह है:
मानसिक सपोर्ट
डाउन सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी जिसका इलाज आज तक कोई नहीं ढूंढ पाया और इस बीमारी में बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास बहुत ही देर से होता है। जिसके कारण वह देर से बैठना, देर से चलना और देर से ही बोलना शुरू करते है। इसके कारण कई बार माता-पिता घबरा जाते हैं। परंतु यदि उन्हें इसके लक्षणों और कारणों का पता होगा तो वह अपने बच्चों को पूर्ण रूप से समझ पायेंगेऔर उनके बौद्धिक विकास में उनका समर्थन कर पाएंगे।
क्योंकि यह ऐसा स्तिथि होती है जिसमें व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति का सहयोग लेना पड़ता है अपनी दिनचर्या की गतिविधियों के लिए। इसलिए आसपास के लोगों और माता-पिता को चाहिए की वो डाउन सिंड्रोम से पीड़ित किसी भी बच्चे को एक अलग बच्चों की तरह ना देखें और उसे भी बाकियों की तरह समझ कर उसके साथ अच्छा व्यवहार करें। क्योंकि यह उनके दिमाग के संतुलन पर भी बहुत ज्यादा असर डाल सकता है। Down Syndrome in Hindi
सर्जरी
डाउन सिंड्रोम में अक्सर बच्चों के चेहरे, गर्दन, हाथ, नाक, कान आदि में दिक्कत होती है और वह अलग आकार के होते हैं।जिसके कारण कई बार उन्हें काफी तरह की परेशानियों का सामना करता है और यह कभी कबार उनकी शारीरिक गतिविधियों में भी रुकावट बनते हैं। इसलिए कई बार डॉक्टरी सलाह के अनुसार सर्जरी करना भी जरूरी पड़ जाता है। इसके अतिरिक्त जिन बच्चों का यह विकार उनके हृदय और गैस्ट्रोनिनटेस्टाइनल सिस्टम पर प्रभाव डालता है उन्हें ज्यादा देखरेख और ध्यान की जरूरत होती है। इसलिए ऐसे बच्चों के मां-बाप को चाहिए कि वह अपना पूरा ध्यान अपने बच्चों पर लगाकर उन्हें मानसिक सपोर्ट के साथ-साथ शारीरिक क्रियाओं के लिए भी प्रोत्साहन दें और उनकी मदद करें। Down Syndrome in Hindi
इस आर्टिकल में जानकारी सामान्य रूप से दी गई है। इसलिए इस पर अमल करने से पहले अपने नजदीकी डॉक्टर से जरूर सलाह ले। दी स्टेट हेडलाइंस किसी भी बात भी कोई पुष्टि नहीं करता है।
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