— पंचायतों को भंग करना जनादेश के साथ विश्वासघात : Shiromani Akali Dal
दी स्टेट हैडलाइंस
चंडीगढ़, 01 सिंतबर l
Shiromani Akali Dal ने आज पंचायतों को भंग करके बुनियादी लोकतंत्र की हत्या करने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान और पंचायती राज मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर के इस्तीफे की तत्काल मांग की और साथ ही इस फैसले को वापिस लेने के लिए मजबूर करने के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का धन्यवाद किया।
यहां एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए Akali Dal के वरिष्ठ नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ ने युवा अकाली नेता गुरजीत सिंह तलवंडी द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की, जिन्होने पंचायतों को भंग करने के खिलाफ जनहित याचिका जारी की।
सरदार भूंदड़ और प्रो. चंदूमाजरा ने बताया कि कैसे आम आदमी पार्टी सरकार ने पहले कार्यकाल समाप्त होने से छह महीने पहले पंचायतों को भंग करके लोकप्रिय जनादेश को धोखा दिया और फिर सदस्यों को लुटेरे कहकर अपमानित किया और कहा कि यह उनके पास जमा 1000 करोड़ रूपये की हेराफेरी से बचाने के लिए किया जा रहा है।
Akali Dal लीडर प्रो. चंदूमाजरा ने कहा कि आप सरकार बौखला गई है। उन्होने कहा, ‘‘ पहले वह राज्य के संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल के साथ लड़ाई में उलझ गए, फिर इसने मुख्यमंत्री और पंचायती राज मंत्री द्वारा लिए गए निर्णयों के लिए वरिष्ठ आई.ए.एस अधिकारियों को निलंबित करके अफसरशाही को निशाना बनाया। अब इसने सरकारी कर्मचारियों पर एस्मा लागू कर दिया है।
पंचायतों के 1000 करोड़ का दुरूपयोग करना चाहती थी सरकार
इस अवसर पर बोलते हुए नौजवान नेता गुरजीत सिंह तलवंडी ने कहा कि आप सरकार ने राज्य में बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए केंद्रीय टीम के दौरे के दो दिनों के भीतर पंचायतों को भंग कर दिया । उन्होने कहा कि कि ऐसा इसीलिए किया गया ताकि सरकार बाढ़ राहत मुआवजा हड़प ले। उन्होने कहा कि पंचायतों के पास जमा 1000 करोड़ रूपये का दुरूपयोग करने के लिए अपने चहेतों को पंचायत समूहों का प्रशासक भी नियुक्त किया है।
उन्होने कहा कि ऐसा इस तथ्य के बावजूद किया गया कि अगर 1000 करोड़ रूपये उनके बीच समान रूप से वितरित किए जाते हैं तो प्रत्येक पंचायत को केवल 7 लाख रूपये का लाभ मिलता है।
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हिंसाग्रस्त राज्य मणिपुर की स्थिति का आकलन करेगा Akali Dal
इस बीच वरिष्ठ नेता डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने हिंसाग्रस्त राज्य मणिपुर की स्थिति का आकलन करने और साम्प्रदायिक पीड़ितों से बातचीत करने के लिए पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल रवाना होगा। उन्होने यह भी बताया कि अकाली दल हमेशा संसद और राज्य विधानसभा दोनों के लिए एक साथ चुनाव कराने के पक्ष में रहा है। उन्होने कहा, ‘‘ जब लाॅ कमिशन ने 2018 में और फिर 2023 में इस मुददे पर सुझाव मांगें तो हमने इस कदम का समर्थन किया था। उन्होने कहा कि अगर इस कदम को लागू किया जाता है तो इससे स्थिरता आएगा और यह एक विकास समर्थक कदम होगा’’।
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